नीट; पेपर लीक तो हुआ है, यदि सोशल मीडिया पर हुआ है तो रद्द करने पर सोचना चाहिएः सुप्रीम कोर्ट
पेपर लीक और गड़बड़ी के कारण नीट-यूजी रद्द करने से जुड़ी 38 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पीठ ने परीक्षा में सामने आ रही गड़बड़ियों को लेकर एनटीए से कई तीखे सवाल पूछे। ढाई घंटे चली सुनवाई के अंत में कोर्ट ने कहा कि एक बात से साफ है कि नीट का पेपर लीक हुआ है, मगर इस लीक की पहुंच कितनी व्यापक थी, यह देखना होगा। अगर पेपर सोशल मीडिया पर लीक हुआ है तो इसे रद्द करने पर विचार करना चाहिए। कोर्ट ने इस संदर्भ में एनटीए और केंद्र सरकार से 10 जुलाई तक जवाब मांगा है। वहीं, कोर्ट ने सीबीआई से भी पेपर लीक मामले की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी।
सुप्रीम कोर्ट में दोपहर 2 बजे सुनवाई शुरू होने पर याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील नरेंद्र हुड्डा ने कहा कि हम नीट-यूजी को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। 5 मई को हुई परीक्षा में कुछ घोटालेबाजों ने पेपर लीक कर बहुत से छात्रों को अनुचित लाभ पहुंचाने का काम किया है। नीट परीक्षा से ठीक एक दिन पहले 4 मई को एक टेलीग्राम चैनल ने लीक पेपर का खुलासा किया। सबसे पहले नीट पेपर लीक होने के मामले बिहार में सामने आए थे। पटना पुलिस ने मामला भी दर्ज किया है। नीट के 67 उम्मीदवारों ने 720 में से 720 अंक प्राप्त किए हैं। जबकि उनमें से 6 छात्र एक ही सेंटर के हैं। यह संभव नहीं है।
कोर्ट रूम लाइव; पेपर 4 मई को टेलीग्राम पर लीक हुआ, वीडियो है
चीफ जस्टिस-वह कौन-सी सामग्री है, जिसके आधार पर आप दोबारा नीट की मांग कर रहे हैं? याचिकाकर्ता के वकील हुड्डा- अगर परीक्षा तंत्र में कोई गलती हुई है और धोखाधड़ी करने वाले लाभार्थियों को परीक्षा परिणाम से अलग नहीं किया जा सकता तो यह मानना गलत नहीं होगा कि परीक्षा की शुचिता से समझौता हुआ है। बिहार पुलिस का कहना है कि एनटीए ने मानक एसओपी का पालन नहीं किया। पटना, दिल्ली, गुजरात, झारखंड, राजस्थान व अन्य जगह 6 केस दर्ज हैं। चीफ जस्टिस तो क्या यह तथ्य स्वीकार किया जा सकता है कि पेपर लीक हुआ था?
केंद्र सरकार की ओर से सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता- पटना में एक जगह पर हुआ था। जहां पर लाभार्थी की पहचान कर उनका रिजल्ट रोक दिया गया है। आरोपी गिरफ्तार किए गए। चीफ जस्टिस साबित होता है कि एक गड़बड़ी हुई है, जो पूरी परीक्षा को प्रभावित कर रही थी। याचिकाकर्ता यह कोई छोटी-मोटी लीक की घटना नहीं बल्कि छात्रों के पूरे समूह की है। बिहार पुलिस ने 13 लोगों को गिरफ्तार किया है। यह पेपर कैसे लीक हुआ? इसकी जांच की जा रही है।
चीफ जस्टिस परीक्षा रद्द करने की मांग के पीछे आपके तथ्यात्मक आधार क्या हैं?
याचिकाकर्ता-4 मई की रात को नीट छात्रों को लीक प्रश्नपत्र के उत्तर याद करने को कहा गया था। हमारे पास एक वीडियो है, जिसमें दिखाया गया है कि 4 मई को लीक प्रश्नपत्र सोशल मीडिया पर प्रसारित किया जा चुका था। यह टेलीग्राम के एक चैनल पर कास्ट किया गया था। इसके प्रश्न नीट परीक्षा के प्रश्नों से पूरी तरह से मेल खाते हैं। चीफ जस्टिस हमें सटीक तारीख बताएं कि पेपर कब तैयार हुआ? कब इसे एनटीए द्वारा प्रिंटिंग प्रेस को भेजा गया? वह प्रिंटिंग प्रेस कौन-सी थी, जिसने इसे छापा? इसे प्रिंटिंग प्रेस तक भेजने की क्या व्यवस्था थी? हमें प्रिंटिंग प्रेस का पता मत बताइएगा। नहीं तो अगले साल एक और पेपर लीक होगा। हमें यह बताएं कि पेपर छपने के बाद प्रिंटिंग प्रेस ने इसे एनटीए को कब और कैसे भेजा ? फिर एनटीए से यह बैंकों तक किस माध्यम से और किस तारीख को पहुंचा? आप जानते हैं कि हम यह सब सवाल क्यों पूछ रहे हैं?
एनटीए वकील नरेश कौशिक नहीं, माय लॉर्ड। चीफ जस्टिस- इस जानकारी से हमें यह निष्कर्ष निकालने में मदद मिलेगी कि लीक और परीक्षा के बीच समय अंतराल व्यापक था या नहीं। अगर
परीक्षा की शुचिता प्रभावित हुई है तो दोबारा परीक्षा देनी ही होगी। अगर हम गलत तरीके से लाभ उठाने वाले छात्रों की पहचान नहीं कर पाते हैं तो हमें दोबारा परीक्षा का आदेश देना ही होगा। चीफ जस्टिस अगर सोशल मीडिया के जरिए पेपर लीक हुआ है तो इसे रद्द करने पर विचार करना चाहिए। क्योंकि, वॉट्सएप, टेलीग्राम या किसी इलेक्ट्रॉनिक से लीक होने का मतलब है कि ये जंगल की आग की तरह फैला होगा। चीफ जस्टिस एक बात तो साफ है, नीट का पेपर लीक तो हुआ है। सवाल यह है कि इस लीक की पहुंच कितनी व्यापक थी? एनटीए का कहना है कि कोई लीक नहीं हुआ। पूरी परीक्षा इसलिए रद्द नहीं की जा सकती कि 2 छात्र गड़बड़ी में लिप्त पाए गए। हमें लीक की प्रकृति के बारे में सावधान रहना होगा। सभी छात्र गड़बड़ नहीं हैं। कुछ प्रतिभाशाली भी हैं। हमें देखना होगा कि गड़बड़ी कितने लोगों ने की? इसके लिए हमें कठोर होना होगा। सभी याचिकाकर्ता बुधवार तक अपनी- अपनी लिखित दलीलें कोर्ट को दें।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- देश से बाहर के केंद्रों पर कैसे पहुंचाए गए पेपर?... नहीं मिला जवाब
नीट यूजी परीक्षा के पेपर लीक मामले में भारत से बाहर के 14 सेंटरों की भूमिका भी जांच के रडार में आ चुकी है। चीफ जस्टिस वाई चंद्रचूड ने इस बारे में सरकारी पक्ष और सीबीआई से कई सवाल किए।
सरकार से सवाल, विदेशी परीक्षा केंद्रों पर प्रश्न पत्र कैसे पहुंचाए गए?
सरकार की ओर से सॉलीसिटर जनरल बोले- पेपर भारतीय दूतावासों से केंद्रों तक पहुंचे। लेकिन दूतावासों तक पेपर कैसे पहुंचे, ये नहीं बता पाए। सीबीआई से सवाल, क्या विदेशी सेंटर की जांच कर रहे हैं? क्या प्रक्रिया है? संदिग्धों तक पहुंचने के लिए किन चैनलों की मदद ले रहे हैं?